खुसूर-फुसूर
केस डायरी समय पर गायब,बाहर आए आरोपी
करीब एक माह के दरमियान शहर के एक होटल से वन्यजीवों की खाल के साथ दो आरोपियों को नागपुर से आई टीम ने पकडकर स्थानीय जिम्मेदारों को सौंपा था। इस मसले पर जिम्मेदारों ने जमकर मिडिया से अपनी पीठ थपथपाई थी। जमकर बयानबाजी की गई थी। मामले का दुसरा पहलू उस समय सामने आया जब 17जून को जिम्मेदार आदेश के बाद भी सुबह केस डायरी लेकर समय पर नहीं पहुंचे। दोपहर उपरांत केस डायरी जब रखी तो दोनों आरोपी की जमानत मंजूर हो चुकी थी। जिसके नाम से होटल का कमरा बुक था उसे जिम्मेदार साहब ने बयान के लिए बुलाया। अंडर ट्रांसफर होते हुए और ये जानते हुए भी कि संबंधित का कुछ ही समय पूर्व गंभीर आपरेशन हुआ है जिम्मेदार साहब ने उसके साथ मारपीट की। दुसरे दिन उसे गिरफ्तारी बता कर पेश किया गया और आदेश पर जेल दाखिल कर दिया गया। आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए बडे ही तरीके से केस डायरी को बार-बार मांगने पर भी पेश नहीं किया गया। 17 जून की तारीख थी उस दिन भी पूर्व से सुबह 10.30 बजे का आदेश होने के बाद भी केस डायरी समय पर नहीं पहुंचाई गई। जिम्मेदार साहब ने दोपहर उपरांत तक केस डायरी रोक कर रखी और अन्यानेक शतरंजी मोहरे इस्तेमाल करते रहे। दोपहर बाद संदेश मिलने पर केस डायरी भेजी गई जिस पर मालूम हुआ कि दोनों आरोपियों को जमानत का लाभ मिल चुका है। खुसूर-फुसूर है कि नागपुर वालों ने सब करके दे दिया था उसके बाद उसी गाईड लाईन को आगे चलाना था लेकिन उसकी अपेक्षा जेम्स बांड का काम और उसे करने का अंदाज बयां वाली तर्ज पर काम किया गया। समझ ये नहीं आ रहा था कि अपराधियों की मदद की जा रही है या कानूनी रूप से उनका साथ दिया जा रहा है। अंतत: अंत में साफ हुआ की सब फेर जमानत का था जो आरोपियों को केस डायरी पेश नहीं करने से मिली। इस सब के दौरान कार्यालय के वृक्षों से हरी हवा का जोर बताया जा रहा है।
